देह के बसंत में वापस लौटते हुए, कल तुम पाओगे अपनी नफरत के लिए कोई कविता जरुरी नहीं है अपने जालों के साथ लौट जाएंगे वे जो शरीरों की बिक्री में माहिर हैं। कल तुम जमीन पर पड़ी होगी और बसंत पेड़ पर होगा नीमतल्ला, बेलियाघाट, जोड़ा बगान फूलों की मृत्यु से उदास फूलदान और उगलदान में कोई फर्क नहीं होगा। #कल #धूमिल ©river_of_thoughts #Hum