जाते-जाते न जाने क्यूं एक लम्हा ठहर गया, देकर दर्द जुदाई का न जाने किस शहर गया, हंसते हैं वो इस तरह से मानो कुछ हुआ ही नहीं , आग लगी थी कहीं पर, कहीं पर पानी बह गया... लम्हा लम्हा बदलती हुई ज़िन्दगी में बदलते हुए हम। #हुआहीनहीं #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi