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पहली बार मिले थे इश्क़ का इजहार कहा कर पाया था मन

पहली बार मिले थे
 इश्क़ का इजहार कहा कर पाया था
मन की उलझनों के बीच
उनका अहसास कहाँ कर पाया था ।

मुश्किलें हैं, तन्हाई है 
बैचेनी सी कुछ अंतर्मन में
कुछ कसक सी रह गयी है
मेरे जीवन और उनके पावन हृदय में । 

साथ चला था, एक राह पे मिलकर
मंजिल का भी कहाँ पता था
जीवन एक सफर मात्र है
यह अहसास मुझे कहाँ था ।

जीवन की है ध्वनि अलग
संगीत कहाँ उनमे रहती है
मिले राग, सुर और ताल अगर
तो ही जीवन में उन्माद सी रहती है ।

मैं भी था एक थका मुसाफिर 
जिसका मंजिल कही खो गया था,
साथ चला था जो हमसफ़र बन 
वो भी किसी और राह को चल पड़ा था ।

उन्मुक्त जीवन , स्वतंत्र विचार
बस इतने से थे भाव मेरे ,
जीवन का है अर्थ कहाँ
जब गम के अश्रु नैना में वो पिरो ले ।

 भाव हृदय में रख कर 
जीवन को फिर मैं जी लूंगा
आजन्म जन्म का रिश्ता ये
खुद की खुशियां उन्हें समर्पित कर दूंगा ।।

                                  
                          ✍️ राज किशोर वर्मा पहली बार मिले थे..
पहली बार मिले थे
 इश्क़ का इजहार कहा कर पाया था
मन की उलझनों के बीच
उनका अहसास कहाँ कर पाया था ।

मुश्किलें हैं, तन्हाई है 
बैचेनी सी कुछ अंतर्मन में
कुछ कसक सी रह गयी है
मेरे जीवन और उनके पावन हृदय में । 

साथ चला था, एक राह पे मिलकर
मंजिल का भी कहाँ पता था
जीवन एक सफर मात्र है
यह अहसास मुझे कहाँ था ।

जीवन की है ध्वनि अलग
संगीत कहाँ उनमे रहती है
मिले राग, सुर और ताल अगर
तो ही जीवन में उन्माद सी रहती है ।

मैं भी था एक थका मुसाफिर 
जिसका मंजिल कही खो गया था,
साथ चला था जो हमसफ़र बन 
वो भी किसी और राह को चल पड़ा था ।

उन्मुक्त जीवन , स्वतंत्र विचार
बस इतने से थे भाव मेरे ,
जीवन का है अर्थ कहाँ
जब गम के अश्रु नैना में वो पिरो ले ।

 भाव हृदय में रख कर 
जीवन को फिर मैं जी लूंगा
आजन्म जन्म का रिश्ता ये
खुद की खुशियां उन्हें समर्पित कर दूंगा ।।

                                  
                          ✍️ राज किशोर वर्मा पहली बार मिले थे..

पहली बार मिले थे..