पहली बार मिले थे इश्क़ का इजहार कहा कर पाया था मन की उलझनों के बीच उनका अहसास कहाँ कर पाया था । मुश्किलें हैं, तन्हाई है बैचेनी सी कुछ अंतर्मन में कुछ कसक सी रह गयी है मेरे जीवन और उनके पावन हृदय में । साथ चला था, एक राह पे मिलकर मंजिल का भी कहाँ पता था जीवन एक सफर मात्र है यह अहसास मुझे कहाँ था । जीवन की है ध्वनि अलग संगीत कहाँ उनमे रहती है मिले राग, सुर और ताल अगर तो ही जीवन में उन्माद सी रहती है । मैं भी था एक थका मुसाफिर जिसका मंजिल कही खो गया था, साथ चला था जो हमसफ़र बन वो भी किसी और राह को चल पड़ा था । उन्मुक्त जीवन , स्वतंत्र विचार बस इतने से थे भाव मेरे , जीवन का है अर्थ कहाँ जब गम के अश्रु नैना में वो पिरो ले । भाव हृदय में रख कर जीवन को फिर मैं जी लूंगा आजन्म जन्म का रिश्ता ये खुद की खुशियां उन्हें समर्पित कर दूंगा ।। ✍️ राज किशोर वर्मा पहली बार मिले थे..