तेरी ईमानदारी से कोई शिकवा नहीं है मुझको दर्द ये है कि खुदगर्ज़ी से अपनी आँखें मूँद लेते हो फर्क ये नहीं पड़ता कि किसकी खाल नोचते हो फर्क ये है तुम भी रंगे सियार की खाल ओढ़ते हो सच कहना बुरा नहीं है, ये जानता हूँ लेकिन परेशान हूँ तुम अपने जेहन में फसल झूठ की बोते हो बहुत बेचैन रहते हो इस मुल्क की आवोहवा में तुम जब भी जलता है मेरा देश क्या तुम निष्पक्ष बोलते हो बहुत बुरे सियासतदान हैं इस मुल्क में मान लेता हूँ साथ टुकड़े गैंग के खड़े होकर कभी खुद को टटोलते हो अजब विन्यास है पेशे का तुम्हारे कलम के सिपाही बोलने की मनाही है तुम ऊँची आवाज़ बोलते हो #रवीश_कुमार_मैग्सेसे_वाले_को_समर्पित