गुजर ही रहा था राहों से मैं ,तभी कानों ने एक आवाज सुनी
न थी खुशी उसमें न ही कोई दर्द था,
बस किसी के बिछुड़न से भीगा सभी का मन था
झट भाग कर पास गया मैं खिड़की से झांक कर देखा,
अन्दर वृद्धाओं का हुजूम और आंखों में सबके समंदर था
पूछ लिया किसी मुसाफिर से यह कौन सी दुनिया है..? #स्वीकार