जब कोई ना होता, रातें तन्हा सी मेरी, चांद से बातें करती हूं। चेहरा चांद का ,तारीफों के शब्द मेरे, मेरे हालातों का जायज़ा लेते हुए, बादलों में लुका छिपी ,वो खेलते हुए, पूरी रात उसे दूंडते निहारते ,कटती मेरी। फिर भी मैं ना थकती हूं। जब कोई ना होता, रातें तन्हा सी मेरी, चांद से बातें करती हूं। पूरी रात तेरे चेहरे का यूं, छाया रहता नूर, ओ मेरे चांद इतना बता ,क्या तुझे कभी ना होता, अपनी खूबसूरती पर गुरूर। अगली रात फिर तुमसे ,मिलने की राह मैं तकती हूं। जब कोई ना होता, रातें तन्हा सी मेरी, चांद से बातें करती हूं। तुम्हारे नुर से रोशन जहां, झिलमिलाती रात, लगे ये पल मुझे कोई सौगात। मेरा पहला प्यार तू,तुझपर ही मरती हूं। जब कोई ना होता,रातें तन्हा सी मेरी, चांद से बातें करती हूं। #chandsebatein