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50. आलाप भी जरूरी है विस्मय विराग इन गलियों का,

50. आलाप भी जरूरी है


विस्मय विराग इन गलियों का, 
आईने भी इन घरों के, 
क्या नज्में है जीवन की, 
लेकिन आलाप भी जरुरी है.
तीर तीखे है जुबानों के, 
मर्ज बेअसर है इन औषधियों के, 
कौन शिकारी, किस शिकार का, 
लेकिन आलाप जरुरी है.
करवटें नीदों की राहतें है, 
जीवन कुठिंत फिर भी शहादतें है, 
थक जाएगा परवरदिगार, अर्जियाँ बहुत है,
लेकिन आलाप भी जरुरी है.

©Ankit verma utkarsh❤ collection:- ठंडी धूप
50th poetry

#Dark  Ankit Raj Sbbu Ali Logon Ki Awaz Logon Tak rajveer ahirwar Kundan Yadav
50. आलाप भी जरूरी है


विस्मय विराग इन गलियों का, 
आईने भी इन घरों के, 
क्या नज्में है जीवन की, 
लेकिन आलाप भी जरुरी है.
तीर तीखे है जुबानों के, 
मर्ज बेअसर है इन औषधियों के, 
कौन शिकारी, किस शिकार का, 
लेकिन आलाप जरुरी है.
करवटें नीदों की राहतें है, 
जीवन कुठिंत फिर भी शहादतें है, 
थक जाएगा परवरदिगार, अर्जियाँ बहुत है,
लेकिन आलाप भी जरुरी है.

©Ankit verma utkarsh❤ collection:- ठंडी धूप
50th poetry

#Dark  Ankit Raj Sbbu Ali Logon Ki Awaz Logon Tak rajveer ahirwar Kundan Yadav