क्या बात है, जो नींद नही आ रही है, आँखें है बंद, पर नींद दूर खड़ी मुस्कुरा रही है। क्या बीते कल की यादें सता रही हैं, या आने वाले कल की चिन्ता शोक जता रही है। 'क्यों हुआ, कैसे हुआ, क्या होगा', प्रश्नों की बौछार, बेचैनी बढ़ा रही है। जीना है जब आज में, तो क्यों ये बातें बेवक्त ज़हन में आ, दिल को जला रही हैं। #नींद#चिन्ता