क्या फायदा हुआ शहर उजाड़ कर हमारा नाम मिटता नही लिखा हुआ जो तुम्हारा * नज़्म * क्या फायदा हुआ शहर उजाड़ कर हमारा नाम मिटता नही लिखा हुआ जो तुम्हारा दिल की दहलीज़ से लौट गई खुशियाँ सारी रातों की तन्हाई ने हमें जब ज़ोर से पुकारा