एक अर्से बाद आज फिर वो चांद आया है अपने साथ कुछ अनकहे जज्बात लाया है चुपके से दे कर आवाज वो चांदनी बोली जरा खोलकर देख बंद झरोखों को वो चांद आज फिर तेरे महबूब का पैगाम लाया है