Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat तुम्हारी नज़र में तुम सही हो, हमारी नज़रों में गिरते हुए देखा हमने, मोहलत मांगी माफी मांगी दुआ ने हमने तुम्हारी सलामती मांगी, सिला ये था कि सिलसिले बन गए, नकाब पौष लोगों के बीच ख़ुद की पहचान खो बेच दी, कोई टिप्पणी कसने को बेताब थे तुम, हम कौन सी जमीन पर कब्जा जमाने को बहिष्कार भी करने लगें तुम, खेल खेलना चाहते थे,कसीदे पढ़ते रहे, हम प्यार समझते रहे, तुम शतरंज के मोहरे चलते रहे। तुम्हारी नज़र में उठते रहे तुम, हमारी नज़र में ज़मीन में दस्ते रहे तुम। तुम्हारी नज़र में मैं क्या हूँ? #तुम्हारीनज़रमें #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat तुम्हारी नज़र में तुम सही हो,