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तुम हो कोहरे सी शीत बहुत तुम ही गुनगुनी ध









तुम हो कोहरे सी शीत बहुत 
तुम ही गुनगुनी धूप सी गरम 
इलायची -अदरक वाली चाय की 
अमृत- सी तुम लबों पे छुअन 
शायराना हुए कुछ गुलाबों की 
तन  पे तुम हो  नरम चुभन 
मैं जो हूँ वैश्विक साँसों के लिए सुरभित 
तुम भी तो संजीवनी हो न सुमन...!!!

©Vivek
  #अमृत- सी
vivek7712018445095

Vivek

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