जनहित की जड़ की बात - 16 दुनिया में छाने के गीत गा रहे, भुख में 107 नें 94 पे आ रहे ! स्वार्थ भरी नीयत के कारण,नियोजन कर ही न पा रहे !! अन्न जल साधन कम नहीं, भूखे को भोजन का दम नहीं ! किसी में जनहित का मर्म नहीं, स्वहित जपने में शर्म नहीं !! चुनाव लड़ते आरोपी अपराधी, बुझाते रहते जनहित की बाती ! नित नई साजिशें रची जाती, जन जीवन मौत सदृश बनाती !! जनता मदद बिन जी न पाती, मदद हेतु इनके ही दर पे जाती ! छोटी मोटी मदद भी जुटाती, मदद ले इनकी गुलाम बन जाती !! हर बार का वोट तय हो जाता, अपराधी सहज जीत के आता ! यही सिलसिला चलता जाता, दोष जन के सर मड़ दिया जाता !! अपने पैर कुल्हाड़ी कोई न मारता, जहर फैलने के ड़र से पैर कटाता ! जन पंहुच से दूर प्रहरी न्यायपालिका, सरेआम नीलाम है आज पत्रकारिता !! सूचना अधिकार पर हो रहे वार, प्रहरियों पर भी वार लगातार ! लोकपाल की नहीं साज संवार, लोकतंत्र हो चुका आज तार तार !! जड़मूल से जपना होगा जनहित, दस बीस सालों में सही होगा गणित ! इस पीढ़ी में नहीं तो अगली में सही, होकर रहेगा जनहित चमन लहलहित !! - आवेश हिन्दुस्तानी 21.10.2020 ©Ashok Mangal janhit ki jad ki baat - 16 #hunger #RTI #crime #bihar #worldpostday