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*निरोगी काया-स्वस्थ जीवन का आधार* अगर आपको स्वस्थ

*निरोगी काया-स्वस्थ जीवन का आधार*
अगर आपको स्वस्थ रहना है तो आपको अपने शरीर के हिसाब से चलना होगा, यदि भूख , नींद , और मल-मूत्र विसर्जन शारीरिक माँग के अनुसार न करके अपने अनुसार करेंगे तो ज्यादा नहीं चलेंगे,,समय मिलाने के लिए कई बार लोग समझौता कर लेते हैं और इसका परिणाम ब्लडप्रेशर, शुगर, थाइराइड,दमा ,कब्ज , बवासीर, अवसाद इत्यादि बीमारियों के रूप में सामने आता है.. स्वस्थ जीवन का एक ही मूल मंत्र है या तो शरीर को अपने हिसाब से ढाल लो या शरीर के हिसाब से खुद ढल जाओ ,, नैसर्गिक वेग को ज्यादा देर तक रोकोगे तो शरीर बीमारियों का भंडार बन जायेगा और दवाई खाकर भी वो शरीर नहीं मिलेगा जो कि हो सकता था जिसे निरोगी काया कहते हैं । निरोगी काया ईश्वर का आशीष तो है लेकिन ऊटपटांग रहन-सहन खान-पान की वजह से छिन भी सकता है । 24 घंटे में 6 घंटे नींद चाहिए तो चाहिए। कम से कम एक बार भरपेट भोजन चाहिए तो चाहिए , शारीरिक माँग के अनुसार मल-मूत्र विसर्जन चाहिए तो चाहिए ‌‌। इनसे समझौता किया तो शरीर रोगों का गढ़ बना । यही शत् प्रतिशत सत्य है । मानो या ना मानो आपकी मर्जी ।
लेखिका/कवयित्री-प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान©
सागर मध्यप्रदेश ( 03 दिसंबर 2022 )

©Pratibha Dwivedi urf muskan #स्वस्थतन #स्वास्थ्य #प्रतिभाउवाच #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कान© #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कानकीकलमसे #स्वरचितविचार #नोजोटो पढ़िए लेखिका-प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान सागर मध्यप्रदेश की पूर्णतः स्वरचित मौलिक व प्रामाणिक विचार धारा सर्वाधिकार सुरक्षित हैं इसके व्यवसायिक उपयोग करने के लिए लेखिका की लिखित अनुमति अनिवार्य है धन्यवाद 🙏

#Doctors  indu singh RITU VS ALOK –Varsha Shukla rasmi Ankita Tantuway
*निरोगी काया-स्वस्थ जीवन का आधार*
अगर आपको स्वस्थ रहना है तो आपको अपने शरीर के हिसाब से चलना होगा, यदि भूख , नींद , और मल-मूत्र विसर्जन शारीरिक माँग के अनुसार न करके अपने अनुसार करेंगे तो ज्यादा नहीं चलेंगे,,समय मिलाने के लिए कई बार लोग समझौता कर लेते हैं और इसका परिणाम ब्लडप्रेशर, शुगर, थाइराइड,दमा ,कब्ज , बवासीर, अवसाद इत्यादि बीमारियों के रूप में सामने आता है.. स्वस्थ जीवन का एक ही मूल मंत्र है या तो शरीर को अपने हिसाब से ढाल लो या शरीर के हिसाब से खुद ढल जाओ ,, नैसर्गिक वेग को ज्यादा देर तक रोकोगे तो शरीर बीमारियों का भंडार बन जायेगा और दवाई खाकर भी वो शरीर नहीं मिलेगा जो कि हो सकता था जिसे निरोगी काया कहते हैं । निरोगी काया ईश्वर का आशीष तो है लेकिन ऊटपटांग रहन-सहन खान-पान की वजह से छिन भी सकता है । 24 घंटे में 6 घंटे नींद चाहिए तो चाहिए। कम से कम एक बार भरपेट भोजन चाहिए तो चाहिए , शारीरिक माँग के अनुसार मल-मूत्र विसर्जन चाहिए तो चाहिए ‌‌। इनसे समझौता किया तो शरीर रोगों का गढ़ बना । यही शत् प्रतिशत सत्य है । मानो या ना मानो आपकी मर्जी ।
लेखिका/कवयित्री-प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान©
सागर मध्यप्रदेश ( 03 दिसंबर 2022 )

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