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गरिमा हर क्षण खंडित होती, आखिर कब प्रतिकार करोगे

गरिमा हर क्षण खंडित होती, आखिर कब प्रतिकार करोगे
 किसकी प्रतीक्षा मे हो तुम, बोलो कब इंसाफ करोगे
 किसके प्रतिनिधित्व के बल पर, तुम पापों का संघार करोगे
 अस्तित्व की रक्षा करने को, कब आखिर हथियार धरोगे
 घात लगाए बैठा है जग, आखिर कब प्रहार करोगे
 मानवता की रक्षा हेतु आखिर कब तलवार धरोगे 
 मौन साध कर आखिर तुम,  पीड़ा क्यों बर्दाश्त करोगे
 बदलाव नया लाने हेतु, तुम दुश्मन से हर बार लड़ोगे
 स्वर से अपने अंतिम क्षण तक विद्रोह की गुहार भरोगे
 मर्यादा की रक्षा हेतु कभी किसी से नहीं डरोगे

©✍️verma priya #respact #myvoice #poetry #music #quotes Sourav shrivastava Vinod Bhardwaj Bade lal verma Ankit maurya manisha
गरिमा हर क्षण खंडित होती, आखिर कब प्रतिकार करोगे
 किसकी प्रतीक्षा मे हो तुम, बोलो कब इंसाफ करोगे
 किसके प्रतिनिधित्व के बल पर, तुम पापों का संघार करोगे
 अस्तित्व की रक्षा करने को, कब आखिर हथियार धरोगे
 घात लगाए बैठा है जग, आखिर कब प्रहार करोगे
 मानवता की रक्षा हेतु आखिर कब तलवार धरोगे 
 मौन साध कर आखिर तुम,  पीड़ा क्यों बर्दाश्त करोगे
 बदलाव नया लाने हेतु, तुम दुश्मन से हर बार लड़ोगे
 स्वर से अपने अंतिम क्षण तक विद्रोह की गुहार भरोगे
 मर्यादा की रक्षा हेतु कभी किसी से नहीं डरोगे

©✍️verma priya #respact #myvoice #poetry #music #quotes Sourav shrivastava Vinod Bhardwaj Bade lal verma Ankit maurya manisha