Nojoto: Largest Storytelling Platform

वो मासूम सी आँखें जो अब चमकती नहीं, उसकी हंसी, जो

वो मासूम सी आँखें जो अब चमकती नहीं,
उसकी हंसी, जो अब गूंजती नहीं।
किसी के घर का उजाला बुझ गया,
पर समाज के दिल में कोई हलचल नहीं।

चुप हों गए यह समाज 
कुछ पल का दिखावा कर के 
अब भी क्या बदलाव आया 
केन्डील मार्च करके 
जों हमनें बतलाया 
यूं आँखों पे पट्टी लगाए 
क़ानून की आँखे बंद है 
और समाज चुप हूँ हीं चुप है।

न्याय की आँखें कहीं सोई हैं,
इंसानियत की आवाज़ भी कहीं खोई है।

आओ, तोड़ें इस चुप्पी की दीवार,
आओ, आवाज़ उठाएं एक बार।
जिस दिन ये शोर सुना जाएगा,
उसी दिन ये अंधेरा भी हट जाएगा।

©writer_Suraj Pandit
  #Stoprape वो मासूम की आँखे 
 बाबा ब्राऊनबियर्ड  Meri baatein....  –Varsha Shukla  @Aslam dasi kalaka  Internet Jockey  Sethi Ji