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शायरों ने भी क्या खूब शायरी की है। ताउम्र डरते रहे

शायरों ने भी क्या खूब शायरी की है।
ताउम्र डरते रहे जुबा से।
आखों ने गद्दारी की है।।
दिल मैरा होकर मैरा ही न रहा।
दिल ने भी मेरे आलावा किसी 
और से वफादारी की।।
मन, ने कहा कि भूल जा उसें।
मैनें भी सौचा भूला दू उसे।।
पर छाप डाली दिल ♥ के हर जर्रे मे उसकी तसवीर। 
यादों ने भी क्या खूब कलाकारी की।।
रंगों से भरा खाब था मैरा। 
खाब तोड़ गया मुझे छोड़ गया।
न जाने मुझे छोड़कर कौन सी समझदारी की।।
आज उन्हें देखकर दिल रोता है।
आखें छलकती है।और 
होठ मुस्कुराती है।
ये देखकर खुदा बोल उठा।
वाह रे बंदे तू ने भी क्या खूब अदाकारी की।।
राधे ,राधे

©Pankaj Kumar गद्दारी
pankajkumar3694

Pankaj Kumar

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गद्दारी

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