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अब मोहब्बत चरम से चरमराने लगी है वो मेरी सनम चिड़चि

अब मोहब्बत चरम से चरमराने लगी है
वो मेरी सनम चिड़चिड़ाने लगी है
छोड़कर ताकना मुँह,मुँह बनाने लगी है
पास आकर मेरे सर पकाने लगी लगी है

मेरा इश्क उसको लगता है चुतियापा
फिक्रमंद हूँ तो हूँ लगता मैं पापा
छुपके मुझसे वो अब मुँह दिखाने लगी है
खीझकर कोई खल को रिझाने लगी है

प्यार है फिक्र है और है वास्ता भी
छोड़ दे इस सुकूँ को नही रास्ता भी
मेरी मनचली अब बहकने लगी है
बाप से जैसे बेटी भटकने लगी है

प्रेम है जैसे कोई आवारा परिंदा
दाना है खेत मे फिर भी उड़ता परिंदा
प्रेम मरता नही और मरा भी नही है
प्रेमसागर में कोई नदी आ मिली है

सागर है खारा खरा रूप प्यारा
जितनी नदियां मिले उतना सागर  है न्यारा
और मुहाना बना मुँह बना मैं बेचारा
जिसने पाला है सागर उसका सूखा गला है बेचारा

प्यार में और पती में यही तो है अंतर
दूर से सब महल, घर जा लगता है अंदर
चाँद में दाग है और न कोई आकर्षण
और वही चाँद है दूर से सबका तर्पण

©दीपेश #बेवफा
#प्यारऔरपती
#lovecompleted
#2ndinning
अब मोहब्बत चरम से चरमराने लगी है
वो मेरी सनम चिड़चिड़ाने लगी है
छोड़कर ताकना मुँह,मुँह बनाने लगी है
पास आकर मेरे सर पकाने लगी लगी है

मेरा इश्क उसको लगता है चुतियापा
फिक्रमंद हूँ तो हूँ लगता मैं पापा
छुपके मुझसे वो अब मुँह दिखाने लगी है
खीझकर कोई खल को रिझाने लगी है

प्यार है फिक्र है और है वास्ता भी
छोड़ दे इस सुकूँ को नही रास्ता भी
मेरी मनचली अब बहकने लगी है
बाप से जैसे बेटी भटकने लगी है

प्रेम है जैसे कोई आवारा परिंदा
दाना है खेत मे फिर भी उड़ता परिंदा
प्रेम मरता नही और मरा भी नही है
प्रेमसागर में कोई नदी आ मिली है

सागर है खारा खरा रूप प्यारा
जितनी नदियां मिले उतना सागर  है न्यारा
और मुहाना बना मुँह बना मैं बेचारा
जिसने पाला है सागर उसका सूखा गला है बेचारा

प्यार में और पती में यही तो है अंतर
दूर से सब महल, घर जा लगता है अंदर
चाँद में दाग है और न कोई आकर्षण
और वही चाँद है दूर से सबका तर्पण

©दीपेश #बेवफा
#प्यारऔरपती
#lovecompleted
#2ndinning