क्यों तन गुलाबी छेदकर भी ,मुस्कुराती ऐसे जब पँखुड़ि । पट चुकी है काया रक्त से,सजी जैसे फुलझड़ी।। ©Bharat Bhushan pathak #rosepetal क्यों तन गुलाबी छेदकर भी ,मुस्कुराती ऐसे जब पँखुड़ि । पट चुकी है काया रक्त से,सजी जैसे फुलझड़ी।।