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देश भी आजाद हुआ,नया शंखनाद हुआ, फिर भी  गरीबी  रही

देश भी आजाद हुआ,नया शंखनाद हुआ,
फिर भी  गरीबी  रही,नेता  आते-जाते हैं।

वे  दिन भर  ढूँढते, हैं  गली-गली  घूमते,
ढंग का कहीं भी कोई,काम नहीं पाते हैं।

धनी का ही धन बढ़े,उनका ही मन बढ़े,
हैं  गरीब  डरे  हुए, और  भी  डराते  हैं।

करके  प्रहार  अब, देना है  सुधार अब,
गरीबी अभिशाप को ,आइए मिटाते हैं। #घनाक्षरी #गरीबीएकअभिशाप #विश्वासी
देश भी आजाद हुआ,नया शंखनाद हुआ,
फिर भी  गरीबी  रही,नेता  आते-जाते हैं।

वे  दिन भर  ढूँढते, हैं  गली-गली  घूमते,
ढंग का कहीं भी कोई,काम नहीं पाते हैं।

धनी का ही धन बढ़े,उनका ही मन बढ़े,
हैं  गरीब  डरे  हुए, और  भी  डराते  हैं।

करके  प्रहार  अब, देना है  सुधार अब,
गरीबी अभिशाप को ,आइए मिटाते हैं। #घनाक्षरी #गरीबीएकअभिशाप #विश्वासी