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नहीं कुछ शब्दों में कर सकती मैं बयाँ "युद्ध" में ह

नहीं कुछ शब्दों में
कर सकती मैं बयाँ
"युद्ध" में हम
क्या खोते
क्या पाते हैं
कुछ अपनों की
यादों के दीपक
उम्र भर जलाते हैं

(अनुशीर्षक में कविता)
 #war#युद्ध#yqbaba#yqdidi

देश की सीमा पर डटे थे "वो"
मैं घर की सीमा संभाल रही थी
लड़ रहे थे "वो" दुश्मनों से
मैं खुद से लड़ रही थी
अखबार पढ़ने से डरने लगी थी
हर घड़ी कुछ हो न बुरा
नहीं कुछ शब्दों में
कर सकती मैं बयाँ
"युद्ध" में हम
क्या खोते
क्या पाते हैं
कुछ अपनों की
यादों के दीपक
उम्र भर जलाते हैं

(अनुशीर्षक में कविता)
 #war#युद्ध#yqbaba#yqdidi

देश की सीमा पर डटे थे "वो"
मैं घर की सीमा संभाल रही थी
लड़ रहे थे "वो" दुश्मनों से
मैं खुद से लड़ रही थी
अखबार पढ़ने से डरने लगी थी
हर घड़ी कुछ हो न बुरा
anupamajha9949

Anupama Jha

New Creator