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छुपी हुई थी वो अपनी मां के अंचल मे उसे डर था शायद

छुपी हुई थी वो अपनी मां के अंचल मे
उसे डर था शायद अब अपने लिए
उसके गात पर नज़रे थी शिकारी की
छल में फंस गई थी वो उम्मीद लिए

नई ज़िंदगी का सुनहरा स्वपन लिए
भूल गई थी कि हर कोई निस्पृह नहीं
माँ के कर कमलों में वो महफूज थी अब
आये कोई शिकारी अब कोई डर नहीं #हिन्दीप्रभात1 
#हिन्दीप्रभातजनवरी2021 
#हिन्दीप्रभात 
#hpjanuary1_021 


Hindi Prabhat
छुपी हुई थी वो अपनी मां के अंचल मे
उसे डर था शायद अब अपने लिए
उसके गात पर नज़रे थी शिकारी की
छल में फंस गई थी वो उम्मीद लिए

नई ज़िंदगी का सुनहरा स्वपन लिए
भूल गई थी कि हर कोई निस्पृह नहीं
माँ के कर कमलों में वो महफूज थी अब
आये कोई शिकारी अब कोई डर नहीं #हिन्दीप्रभात1 
#हिन्दीप्रभातजनवरी2021 
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akankshagupta7952

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