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ना जाने कैसा ये मंज़र है ना जाने कैसी ये कड़वाहट है

ना जाने कैसा ये मंज़र है
ना जाने कैसी ये कड़वाहट है
दूर तक फैला दुनिया का मेला है
बस उनसे मिलने की छटपटाहट है
इस सफ़र की कहाँ कोई मँज़िल है
कुछ रिश्तों की बस गर्माहट है
कभी सफ़र मँज़िल से भी ख़ूबसूरत है
कभी राहगुज़र ही मँजिल में रूकावट है... भूली हुई जब याद का मंज़र 
आँखों में लहराता है
दिल में ग़म लहराता है।
#यादकामंज़र #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
ना जाने कैसा ये मंज़र है
ना जाने कैसी ये कड़वाहट है
दूर तक फैला दुनिया का मेला है
बस उनसे मिलने की छटपटाहट है
इस सफ़र की कहाँ कोई मँज़िल है
कुछ रिश्तों की बस गर्माहट है
कभी सफ़र मँज़िल से भी ख़ूबसूरत है
कभी राहगुज़र ही मँजिल में रूकावट है... भूली हुई जब याद का मंज़र 
आँखों में लहराता है
दिल में ग़म लहराता है।
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