ना जाने कैसा ये मंज़र है ना जाने कैसी ये कड़वाहट है दूर तक फैला दुनिया का मेला है बस उनसे मिलने की छटपटाहट है इस सफ़र की कहाँ कोई मँज़िल है कुछ रिश्तों की बस गर्माहट है कभी सफ़र मँज़िल से भी ख़ूबसूरत है कभी राहगुज़र ही मँजिल में रूकावट है... भूली हुई जब याद का मंज़र आँखों में लहराता है दिल में ग़म लहराता है। #यादकामंज़र #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi