कच्चा चिट्ठा खोल देता है आईना मेरा मेरे ही सामने जब देखती हूँ खुद को खुद पर ही हँसते हुए अक्स में ले आता हैं गुज़िश्ता कल फिर आँखों की नमी बनाकर एहसास कराता है मुझे कितनी अधूरी रही हैं ख़्वाहिशें ना जाने कब से बिखरी हैं ज़िंदगी आईने के अंदर ही टुकड़ों में बंट कर रह गई मेरे दिल की कुछ फ़रमाइशें आज फिर खड़ी हूँ मैं आईने के सामने गुनाहगार सी बन कर हर बात खुल रही हैं ज़िंदगी बेज़ा चुप रहने की आज़माइशें ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_241 👉 कच्चा चिट्ठा खोलना मुहावरे का अर्थ ---- रहस्य खोलना ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ दो लेखकों की रचनाएँ फ़ीचर होंगी।