सुनो न, क्या ढूंढ लाओगे, उस खोई हुई सी कुछ पागल तो,बात-बात पर रोई हुई सी और हाँ, वहीं जो रूठ कर मुँह फुला लेती है। गर प्यार से मनाया उसको करीब जाकर तो थोड़ा सा मुस्कुरा भी लेती है वो । वैसे ढूंढ लोगे न तुम, उस झल्ली सी कल्ली सी रूह को । बारिशों की बूंद सी समंदर की रेत सी कदमों में उसके वो छम छम पाज़ेब की । #nojoto #nojotohindi #nojotoshayri