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घुटन सी होने लगी उस के पास जाते हुए मैं ख़ुद से रू

घुटन सी होने लगी उस के पास जाते हुए
मैं ख़ुद से रूठ गया हूँ उसे मनाते हुए

ये ज़ख़्म ज़ख़्म मनाज़िर लहू लहू चेहरे
कहाँ चले गए वो लोग हँसते गाते हुए

न जाने ख़त्म हुई कब हमारी आज़ादी
तअल्लुक़ात की पाबंदियाँ निभाते हुए

है अब भी बिस्तर-ए-जाँ 
पर तिरे बदन की शिकन
मैं ख़ुद ही मिटने लगा हूँ उसे मिटाते हुए

तुम्हारे आने की उम्मीद बर नहीं आती
मैं राख होने लगा हूँ दिए जलाते हुए

©aditi jain
  #tere_pass_sirf_afsos_hoga😊  Chouhan Saab Biru Paswan Pappu Rai Mr Ismail Khan (गुमनाम राइटर) Ajain_words

tere_pass_sirf_afsos_hoga😊 Chouhan Saab Biru Paswan @Pappu Rai Mr Ismail Khan (गुमनाम राइटर) @Ajain_words #कविता

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