The story is होकर दूर अपनों से यह आभास मिला है, जैसे कोइ नौकरी नहीं वनवास मिला है! यहां घर सूना पड़ा है मेरा, वहां भाड़े का निवास मिला है, जैसे कोई नौकरी नहीं वनवास मिला है! यहां इतराते थे पुरा चमन हमारा है, वहां मुट्ठी भर आकाश मिला है, जैसे कोई नौकरी नहीं वनवास मिला है! : कुमार प्राणेश #घर से दूर........