दौर स्कूल के याद है मुझे.. उससे मिलने के वो बहाने याद हैं मुझे.. . करते रहते थे गुफ़्तगू.. पीछे की बैंच पर बैठ कर.. सालों के वो अफ़साने... आज भी याद हैं मुझे.. हर बात को हँसी में उड़ाना.. आज भी याद है मुझे.. किसी की आँखों की.. वो मासूम सी शरारतें याद है मुझे.. वो कहॉं है ..किस हाल में है मुझे अब मालूम नहींं.. पर उसकी हल्की सी मुस्कान आज भी याद है मुझे खो गया है वो दोस्त.. ढूंढता हूँ आज भी मै उसे.. क्यूँकि उसकी अठखेलियाँ.. आज भी याद है मुझे.. तुम्हारा विश्वजीत ©vishwajeet vishal #स्कूल_के_वो_दौर