//खुदा की रहमत// ******************* मिज़ाज-ए-इश़्क मेहरबान तो हुआ पर बेचैनियाँ साथ लाया।। रहमत ख़ुदा की हुई कि दुआओं में असर नज़र आया।। अनजानों की महफ़िल में किसे ने अपना समझ प्यार जताया।। मनहूसीयत के बादल , खुशी के लम्होंत हमें कहां रास आया।। कर रहमत ,ओ रहबर के खुशी के हकदार हम भी हैं।। आख़िर क्यों भव्य संसार में हमेंशा दुख ही मैनें पाया ।। गुज़र जाएगें हर हद तेरी रहमत की खुशियां पाने को।। बक्श गुनाह,मशक़्क़त से खुशियोंं ने दरवाजा खटखटाया।। ए खुदा रहमत-ए-नूर कर, उन्हें भूलने की ताकत दें दें।। अब मुकम्मल राहत मिले, छंट जाए गम का यह साया।। #czsc4