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सुबह हो.. शाम हो .... उम्र यूंही न तमाम हो, आओ कु

सुबह हो.. शाम हो ....
 उम्र यूंही न तमाम हो,
आओ कुछ करें ...
ज़िंदगी के लिए,
हर शाम सुनहली शाम हो
— % & तेरी चाहतों का असर यूं हुआ
कि अब हर शहर मेरा घर हुआ,,,

ना कोई ठोह ना कोई ठिकाना
यह दिल बन गया काफिराना,,,

खानाबदोश की तरह बितती हर रातें
खामोशियों की सनसनाहट में करती खुद से बातें,,
सुबह हो.. शाम हो ....
 उम्र यूंही न तमाम हो,
आओ कुछ करें ...
ज़िंदगी के लिए,
हर शाम सुनहली शाम हो
— % & तेरी चाहतों का असर यूं हुआ
कि अब हर शहर मेरा घर हुआ,,,

ना कोई ठोह ना कोई ठिकाना
यह दिल बन गया काफिराना,,,

खानाबदोश की तरह बितती हर रातें
खामोशियों की सनसनाहट में करती खुद से बातें,,

तेरी चाहतों का असर यूं हुआ कि अब हर शहर मेरा घर हुआ,,, ना कोई ठोह ना कोई ठिकाना यह दिल बन गया काफिराना,,, खानाबदोश की तरह बितती हर रातें खामोशियों की सनसनाहट में करती खुद से बातें,, #yqbaba #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #collabwithme #aestheticthoughts #yqaestheticthoughts #ATrandomtreespic