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इश्क़ का इज़हार जब से उससे हुआ है, जाने न क्यों ये

इश्क़ का इज़हार जब से उससे हुआ है,
जाने न क्यों ये अब दिल बेक़रार हुआ है।

जिस-जिस वक़्त भी उसका साथ नहीं होता,
ऐसा लगता है जैसे पंछी घोंसले से बेज़ार हुआ है।

वक़्त अब मुठ्ठी से रेत की तरह से फिसला जा रहा है,
उसकी यादों का साथ चाय के अख़बार सा हुआ है।

जानें क्यों उसकी ख़ामोशियों से अब सब्र नहीं होता,
इश्क़ तो अब उससे होने वाली तकरार से हुआ है।

मेरी छोटी-छोटी गलतियों पर अब उसे सब्र नहीं हुआ है,
बातों में फ़िक्र करने से ही दिल मेरा गुलज़ार हुआ है।

जैसे सुबह का शाम से कभी मिलन नहीं हुआ है,
मिलना तो उसकी तस्वीर से हर बार हुआ है।

जैसा तितलियों का फ़ूलों के बिना बसेरा न हुआ है,
मेरा इश्क़ भी सिर्फ अब उसी का ही तलबगार हुआ है।

©ajaynswami #Dhanteras #समर्पित
इश्क़ का इज़हार जब से उससे हुआ है,
जाने न क्यों ये अब दिल बेक़रार हुआ है।

जिस-जिस वक़्त भी उसका साथ नहीं होता,
ऐसा लगता है जैसे पंछी घोंसले से बेज़ार हुआ है।

वक़्त अब मुठ्ठी से रेत की तरह से फिसला जा रहा है,
उसकी यादों का साथ चाय के अख़बार सा हुआ है।

जानें क्यों उसकी ख़ामोशियों से अब सब्र नहीं होता,
इश्क़ तो अब उससे होने वाली तकरार से हुआ है।

मेरी छोटी-छोटी गलतियों पर अब उसे सब्र नहीं हुआ है,
बातों में फ़िक्र करने से ही दिल मेरा गुलज़ार हुआ है।

जैसे सुबह का शाम से कभी मिलन नहीं हुआ है,
मिलना तो उसकी तस्वीर से हर बार हुआ है।

जैसा तितलियों का फ़ूलों के बिना बसेरा न हुआ है,
मेरा इश्क़ भी सिर्फ अब उसी का ही तलबगार हुआ है।

©ajaynswami #Dhanteras #समर्पित