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औरत के अक्स......

                                 औरत के अक्स.........




किसी की जरूरत नहीं मुझे
मैं खुद में बहुत खास हूँ
जमाने की नसीहत की जरूरत नहीं मुझे
मैं खुद ही अपने दायरे के साथ हूँ 
मैं वो हूँ जिसे खुद उपरवाले ने इज्जत से नवाजा है 
न मैं किसी की मोहताज हूँ
जिनकी इज्जत मेरे घर से बाहर निकलते ही उतर जाए 
फिर क्यों मैं ऐसे लोगों से ही इज्जत पाने को मोहताज हूँ
चूल्हा मेरे बिन जल न सके फिर भी क्यों
मैं इनकी दो रोटी की मोहताज हूँ 
मैं ही इनके घर को घर बनाती हूँ 
फिर क्यों मैं ही छत के लिए इनकी मोहताज रह जाती हूँ
माँ बन जन्म देती हूँ देती हूँ दुलार 
फिर क्यों इन्ही के मुह से माँ की गालियाँ खाती हूँ 
बहन बन इनकी रक्षा की प्रथना करती हूँ 
फिर भी इज्जत बचाने के लिए मौत के घाट उतारी जाती हूँ
अस्मत मेरी ये ही लूटते है फिर क्यों चरित्रहीन मैं ही कहलाती हूँ
दिखने मैं बेशक मैं कमजोर हूँ लेकिन दम मैं मर्द को पैदा करने का रखती हूँ
दुःख नहीं अब मुझे तुम्हारे न पूछने का 
क्योंकि मैं जानती हूँ रुतबा भी अलग है मेरा इसलिए शख़्सियत खास रखती हूँ

©Sumi ps@gmail.com
                                   औरत के अक्स.........




किसी की जरूरत नहीं मुझे
मैं खुद में बहुत खास हूँ
जमाने की नसीहत की जरूरत नहीं मुझे

औरत के अक्स......... किसी की जरूरत नहीं मुझे मैं खुद में बहुत खास हूँ जमाने की नसीहत की जरूरत नहीं मुझे #Thoughts #Trading #rutabaa #Aourat

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