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गरीब, बिन रसना ह्नै बदंगी, निज चसमों दीदार। निज श्

गरीब, बिन रसना ह्नै बदंगी, निज चसमों दीदार।
निज श्रवण बानी सुनै, निरमल तत्त्व निहार।।
सरलार्थ:- सतगुरू द्वारा दीक्षा में दिए वास्तविक नामों का जाप विधि अनुसार करने से यानि बिना रसना (जीभ) के बंदगी (नम्र भाव से स्मरण) यानि अजपा जाप करने से निज चिसमों के यानि दिव्य दृष्टि से परमेश्वर का दीदार (दर्शन) होता है। निज श्रवण यानि आत्मा के कानों से अमर लोक की वाणी सुनाई देती है। उस निर्मल तत्त्व यानि पवित्र परमेश्वर को निहार यानि एकटक देख।

©Anita
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