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रात के धुंधलके,उफ़ उपर से ये लिहाफ, फिर भी लालिमा

रात के धुंधलके,उफ़ उपर से ये लिहाफ,
फिर भी लालिमा बदन की कयामत,कयामत,
जैसे हुस्न के समंदर ने सोख ली हो आग,
चलने  की लरजिस से बिजलियां सी कौंध जाए,
झटक दें जो जुल्फों को,बादलों में जाग जाए आस,
जुल्फ,जालिम शानों को ढंक देती है,
अदा कातिल जो शोलों को हवा देती है,
चमक आंखों की देख के चांद शरमाया है,
कई आशिक तो अभी तक सदमा_नोस है,
चहक उठी बूढों की जवानी,कहर जालिम ने ऐसा ढाया है, कयामत कयामत,
रात के धुंधलके,उफ़ उपर से ये लिहाफ,
फिर भी लालिमा बदन की कयामत,कयामत,
जैसे हुस्न के समंदर ने सोख ली हो आग,
चलने  की लरजिस से बिजलियां सी कौंध जाए,
झटक दें जो जुल्फों को,बादलों में जाग जाए आस,
जुल्फ,जालिम शानों को ढंक देती है,
अदा कातिल जो शोलों को हवा देती है,
चमक आंखों की देख के चांद शरमाया है,
कई आशिक तो अभी तक सदमा_नोस है,
चहक उठी बूढों की जवानी,कहर जालिम ने ऐसा ढाया है, कयामत कयामत,
rajeshrajak4763

Rajesh rajak

New Creator

कयामत कयामत,