रूह बात जिस्म की होती तो भूला कर कहीं और मन लगा लेती पर वो तो मेरी रूह हुआ करता है भला अपनी ही रूह से कोई कैसे जुदा हो कर जियें मुझें पता है वो मेरे बगर जी लेगा क्योकि मै उसकी रूह नहीं सिर्फ एक कपड़ा हुआ करती थी नर्गिस बेनूरी खज़ा तुम मेरी रूह अब भी हो समझे पागल