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रेलवे स्टेशन चलोगे, एक अधेड़ उम्र का आदमी रिक्शोवा

रेलवे स्टेशन चलोगे, एक अधेड़ उम्र का आदमी रिक्शोवाले से पूछता है।जी चलूंगा साहब, तीस रुपए लूंगा। ठीक है चलो, ऐसा बोलकर वह आदमी  रिक्सा पर बैठ जाता है।बहुत परेशान होकर जब वह रेलवे स्टेशन से पचास मीटर दूर रहा होगा,पहुंचा तो उसे जाम का सामना करना पड़ा। जाम के कारण वह रिक्सा रोक कर आगे का सिग्नल देख ही रहा था कि वो आदमी वहां पर चुपके से निकल लिया।जब ग्रीन सिग्नल देख रिक्सा बढ़ाने लगा तो वो पैसेंजर को ना पाकर उदास बैठ कर सोचने लगा कि कैसे लोग है इस दुनिया में। रिक्शा वाले अपने खून पसीना बहाकर आपके मंजिल तक पहुंचता है,धोखा न दें।
रेलवे स्टेशन चलोगे, एक अधेड़ उम्र का आदमी रिक्शोवाले से पूछता है।जी चलूंगा साहब, तीस रुपए लूंगा। ठीक है चलो, ऐसा बोलकर वह आदमी  रिक्सा पर बैठ जाता है।बहुत परेशान होकर जब वह रेलवे स्टेशन से पचास मीटर दूर रहा होगा,पहुंचा तो उसे जाम का सामना करना पड़ा। जाम के कारण वह रिक्सा रोक कर आगे का सिग्नल देख ही रहा था कि वो आदमी वहां पर चुपके से निकल लिया।जब ग्रीन सिग्नल देख रिक्सा बढ़ाने लगा तो वो पैसेंजर को ना पाकर उदास बैठ कर सोचने लगा कि कैसे लोग है इस दुनिया में। रिक्शा वाले अपने खून पसीना बहाकर आपके मंजिल तक पहुंचता है,धोखा न दें।