Nojoto: Largest Storytelling Platform

डर डर के कब तक जीना है कङवा घूँट कब तक पीना है ह

डर डर के कब तक जीना है 
कङवा घूँट कब तक पीना है 
होटों  को कब से सिले है 
कह दे जो शिकवे गिले हैं 
अपनी अनदेखी सह रहा है
मुख से उफ नहीं कह रहा है
यह तो तेरी बुजदिली है
यह विरासत मे ना मिली है 
तेरे अंदर की भय पीङा है
तुझसे ही पैदा तुझमे  पली है
पुष्पेन्द्र "पंकज "

©Pushpendra Pankaj भय  का भूत
डर डर के कब तक जीना है 
कङवा घूँट कब तक पीना है 
होटों  को कब से सिले है 
कह दे जो शिकवे गिले हैं 
अपनी अनदेखी सह रहा है
मुख से उफ नहीं कह रहा है
यह तो तेरी बुजदिली है
यह विरासत मे ना मिली है 
तेरे अंदर की भय पीङा है
तुझसे ही पैदा तुझमे  पली है
पुष्पेन्द्र "पंकज "

©Pushpendra Pankaj भय  का भूत