सपने मेरे किसी जीद्दी बच्चे से हैं कुछ सपने नजर बचाकर चौखट से दबे पांव निकल जाते हैं हर रोज भीतर लाती हूं अब इन्हें रोज धमकाती हूं... ©Shivani jha #सपने_अरमानों_के