वो कोशिश ही क्या, जो कभी पूरी न हो जाए। मैं भूखा और प्यासा चलता रहा सहारा की सरजमी पे, कहीं पीने को दो घुट पानी और खाने को रोटी मिल जाए। ©Hakim Khan एक सफर जिन्दगी की तलाश में। # मुसाफिर