मनुवाद का वर्ण व्यवस्था लोगों पर आज सवार आज भी इसी भारत में घटना के है कितने शिकार 75 वर्षों की आजादी में नहीं बदली इनकी सोच घटना को अंजाम देने में ऐ नहीं करते थोड़ी संकोच क्या उसका अपराध था मटके हाथ से लगाया थोड़ी सी पानी क्या पी तुने जीवन उसका बुझाया धिक्कार हैं ऐसे लोगों का जीना जिनके अंदर भेदभाव का जाल हैं वर्षों का बुना राष्ट्र की बात जो करते हैं तो मौन क्यो ऐ सब रहते हैं इनका जीना जीना है तो मेरा जीना क्या जीना इनके अंदर खुन भरा है क्या मेरे अंदर पसीना सभी यहां हैं एक समान इनको समझ क्यो नहीं आती क्यो नही इनकी जाती इस दुनिया से जाती ©Raviprakash Ambedkar जातीवाद का कहर #Sky