लज्जा, शर्म, हया, मर्यादा, मान-सम्मान; इन शब्दों को समझ नहीं पाता हूँ.! जितना चाहे प्रयास करूँ समझने का, मैं उतना ही उलझता जाता हूँ.! कुछ लोग कहते हैं उपरोक्त शब्द, स्त्री, महिला, लड़कियों के गहने हैं.! पुरुषों का कोई वास्ता नहीं इन शब्दों से, क्या पुरुषों द्वारा स्त्री दमन के सारे बहाने हैं.? उत्तर मिलता नहीं कहीँ किसी पुस्तक में, इस दोहरे मापदंड से लज्जित, नतमस्तक मैं.! अन्तरमन में आग्नेयगिरि का उबालता लावा सा, विस्फोट विनाशकारी होगा समझो उसकी अश्रुरूपी दस्तक में.! ©Ajay #लज्जा लज्जा, #शर्म, हया, #मर्यादा , #मान -सम्मान; इन शब्दों को समझ नहीं पाता हूँ.! जितना चाहे प्रयास करूँ समझने का, मैं उतना ही उलझता जाता हूँ.! कुछ लोग कहते हैं उपरोक्त शब्द, #स्त्री, #महिला , लड़कियों के गहने हैं.!