ये सच है स्वाभिमान भी , झूक गया अभिमान भी। वक़्त का पहिया ऐसा घुमा की रुक गया सम्मान भी। आँखों के कोरो में छुप गए जज्बात भी। इस जीवन रूपी क्रीडा में गबन हो गया इंसान भी । सच है ;झुक गया स्वभिमान भी ,झुक गया अभिमान भी। #झुक गया ----।