किसी को घंटा फ़र्क नहीं पड़ता, आप क्या हैं?कैसे हैं? फर्क पड़ता है तो ये कि, आप पेश कैसे आते हैं अगले के सामने, आप दिखाना भी चाहें गर लोगों को, खुद को गिरते हुए, तो लोग उठाएंगे हरगिज़ नहीं, यकीनन तालियां ज़रूर बजा देंगे, आपको गिरते हुए देखकर.... हम क्या हैं,क्यों हैं, ये सिर्फ़ हमें पता होना चाहिए, दूसरे तो साथ देने का छलावा करते हैं.. हमें पता है भली भांति, हम टूटेंगे,बिखर भी जाएंगे, पर विश्वास है हमें खुद पर, हम निखर भी जाएंगे.. बदल लेंगे खुद को पूरा का पूरा, पर दोष मत देना कोई हमारा, कि अब तो बदल गए हो, बदलेंगे हम अब,यकीनन बदलेंगे.. ©"हैपी जौनपुरी" #बदलना_ज़रूरी_है