कुछ रिश्ते नये बनाकर कुछरिश्तों को तोड़ गया। एक हवा का झोंका सा बनकर जीवन का रथ, पथ मोड़ गया। कुछ खुशियां दी कुछ ग़म भी दिया, कुछ ज़ख्म दिये मरहम भी दिया। पर जीवन के इस मुट्ठी से, कुछ रेत के जैसे फिसल गया, मुझको तन्हा सा करके एक साल और निकल गया। ऐसा नहीं हैं कि सब ख़्वाबों को तोड़ गया, पर कमबख़्त ये बेवफा भी बीच सफर में छोड़ गया। हर साल की तरह इससे भी कुछ उम्मींदें थी, कुछ सपने थे और अनगिनत ख़्वाहिशें थी। पर मेरे सारे जज़्बातों को जाते जाते कुचल गया, मुझको तन्हा सा करके एक साल और निकल गया। ©VAIRAGI #new_year_quote #vairagi #poetry #bye2020