बंसी की धुन इतनी भी कभी प्यारी ना होती ! गर हृदय में उसके बैठी राधा रानी ना होती !! और पूछता भी कौन आज बृज की गलियों को ! गर जीवित वहां पर प्रेम कहानी नहीं होती !!