"स्त्रीत्व के प्रति हमारें दृष्टिकोंण संकीर्ण है अवश्य कहिये परन्तु जब तक नारीत्व की सुरक्षा स्वच्छंदता में सुनिश्चित न हो तब उसे स्वयं कुछ पुराने मापदण्डों का समय व स्थितियों के अनुरूप परिवार के श्रेष्ठों की सलाह का पालन अनिवार्यतः करना ही चाहिए। आधुनिक समाज के वीभत्सता का शिकार होने से तो यही उत्तम है।" *************************** क्यों नहीं तुम्हारे दिखती है चिंता रेखा, क्यों व्यर्थ तुम्हें मेरा समझाना लगता है? क्यों अक्ल तुम्हारी मरुथल में चरती चारा, क्यों नहीं समझती भाई तुम्हारा कहता है??.1 सूरज ढलने तक चार घड़ी मत जाया कर, तू काम अधूरा छोड़ मगर घर आया कर।