वाह वाही करने को हजारों मुंह है हाथ पकड़ को पार करवाने वाले कुछ ही है उस पर्वत पर अकेले खड़े हो जहां कोई दूर तक नही है ये मसला ज़िन्दगी का नहीं हमारी उम्मीद का हैं हंसने तो सब साथ आते है गम के आंसू अकेले ही बहाते है सब पैसों के पीर है जो निस्वार्थ प्रेम करते रिश्तों की वही नीव है वो हाथ हमारे है जो खुद की पीठ भी थपथपाते है चलो छोड़ कर मलाल ख़ुद को मुस्कुराना सिखाते है अपने से प्यार इतना भरपूर कर लो के साथ ढूंढने वाले ख़ुद साथ नज़र आते है सटीक बोलने वाले किसी किसी को ही पसंद आते हैं शहद में डुबोकर हर्षिता को बोलना नहीं आता है जो दिल में होता है वही ज़ुबान और कलम का तीर होता है अपने अपनो को पहचान लेना ये सबसे बड़ा हुनर होता है किताबी ज्ञान तो गुरु द्वारा मिलता है जिंदगी को करते है सलाम जो हर हार को जीता और जीत को एक प्रयास का मुकाम मिलता है चलो साथ मुस्कुराते है और सवाल नही ज़वाब भी ख़ुद बन जाते है क्षमा नहीं मागते हम मगर सच इतना ही गलत लगता तो शर्मिंदा नही होते हम है गुरूर नही है स्वाभिमान है हर्षिता का मुकाबला नहीं किसी से दिल की बात साफ़ साफ़ कहने का हुनर है ©️ जज़्बात ए हर्षिता वाह वाही करने को हजारों मुंह है हाथ पकड़ को पार करवाने वाले कुछ ही है उस पर्वत पर अकेले खड़े हो जहां कोई दूर तक नही है ये मसला ज़िन्दगी का नहीं हमारी उम्मीद का हैं हंसने तो सब साथ आते है गम के आंसू अकेले ही बहाते है सब पैसों के पीर है जो निस्वार्थ प्रेम करते रिश्तों की वही नीव है