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गिर-गिर के उठने की कोशिश, बार-बार जो करता है, एक

गिर-गिर के उठने की कोशिश, 
बार-बार जो करता है, 
एक न एक दिन उठ खड़ा, 
वही हो पाता है, 
सर्दी-गर्मी, आग उगलती धूप को, 
सर्द हवा के थपेड़ों को, 
सहज सहन जो कर पाता है, 
यहाँ वही सफल हो पाता है, 
अपने लिए जो स्वयं संघर्ष रत रहता है, 
परमात्मा भी मदद उसे ही कर पाता है।

©Archana Bharti
  #गिरगिरकेउठना