ज़िंदगी की शाम ज़िन्दगी की शाम इस क़दर ढ़लती रही, याद बनकर तू मेरे दिल में धड़कती रही। बहुत ख़ुश हूँ मैं भी तुम्हे ख़ुश देखकर,बस ज़िन्दा तो हूँ, मग़र सिर्फ साँसे चलती रही।। 📝सतेन्द्र गुप्ता पडरौना कुशीनगर #nojoto #हिन्दी शायरी