तुम्हारे अपने विचार है मेरा अपना मत है जरूरी नही तुम मेरे विचारों को समझो और मैं भी तुमसे सहमत हो जाऊं। विचारों में टकराव होता है। स्वभाव बदलते है। आदतें बनती बिगड़ती है। कुछ इस बिखराब में खो जाते है तो कुछ ख़ुद को सम्हाल पाते है। मातृ-पितृ ऋण, पारिवारिक सामाजिक कर्तव्य निभाओ जैसे भी ठीक से रह पाओ रहो अपना और अपनों का खयाल रखो मैंने तो इसी भाव से तुम्हें प्रेम किया है। और ईश्वर से तुम्हारे लिए सुख समृद्धी की कामना करता हूँ। #तुम्हारे एहसास#dear जिंदगी #पंछी #पाठक #प्रेम #चित्तौड़गढ़ #पाठकपुराण